इलाहाबाद । जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात जननी और जन्म भूमि स्वर्ग से भी महान हैं। जिस तरह से मां एक बच्चे को जन्म देकर, अपना दूध पिलाकर, हर सुख देकर पालती है उसी प्रकार धरती मां अपने फल, फूल, अन्न, जल वायु आदि से मानव जगत को पालती पोसती आ रही है। ऐसी पृथ्वी के रखवाले हैं चाचा मकबूल हुसैन उर्फ छप्पा जी। प्रतापगढ़ जिले के मानधाता ब्लॉक के सराय गोविंद राय गांव के निवासी मकबूल हसन की इस समय उम्र लगभग 77 वर्ष है। इन्होंने वर्ष 2002 से पर्यावरण सेना के मिशन की शुरुआत से जुड़कर 16 वर्षों में 1000 से अधिक फलदार पौधों का रोपण किया। इतना ही नहीं उन्होंने लोगों को पर्यावरण संरक्षण की नसीहत देते हुए सभी पेड़ों को दिन रात एक कर बकलाही नदी के पानी से सींच कर बड़ा किया। सभी पौधे पेड बनकर आज फल दे रहे हैं। कटहल, जामुन, अमरूद, बेर आदि के साथ आम के पेड़ों की संख्या सबसे अधिक है। इसके साथ 100 से अधिक बांस की कोठ का उत्पादन उन्होंने किया हैइसी से वह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। पेड़ों की देखभाल ऐसी कि राह चलते अगर कोई पेड़ संकट में या असुरक्षित दिखता है तो पहले उसका इंतजाम करते हैं फिर आगे बढ़ते हैं। हलांकि उन्होंने सिर्फ कक्षा छह तक की पढ़ाई की है। जागरण से बातचीत में मकबूल हसन कहते हैं कि सबसे अधिक कष्ट हमें पेड़ों के कटने या नष्ट होने से होता है। पेड़ों की सुरक्षा के लिए लोगों को आगे आना होगा और पर्यावरण सेना के साथ जुड़कर इनकी रक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण का कार्य करना होगा। पर्यावरण सेना प्रमुख अजय क्रांतिकारी कहते हैं कि मकबूल चाचा के अछूत प्रयास से पर्यावरण सेना का मान बढ़ा है और मिशन को मजबूती मिल रही है।पृथ्वी के रखवाले मकबूल हसन को वन विभाग रविवार को तीन बजे से कुंडा के शहाबपुर में होने वाले पृथ्वी दिवस के कार्यक्रम में सम्मानित करेगा। डीएफओ वाइपी शुक्ला ने बताया कि मकबूल हसन से लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। अधिक से अधिक पौधे लगेंगे तो जो पर्यावरण सुरक्षित रहेगा। होगा।
पृथ्वी के सच्चे रखवाले हैं मकबूल चाचा